स्टोनवाल आंदोलन: एक सामाजिक अभिवृद्धि की ओर
स्टोन वाल आंदोलन को समलैंगिक अधिकारों के संघर्ष के इतिहास में निर्णायक मोड़ के रूप में जाना और याद किया जाता है| स्टोनवाल के पश्चात् केवल अमेरिका ही नहीं अपितु पूरे विश्व में क्वीर समुदाय के संघर्ष ने वह रूप लेना शुरू किया जिस में आज हम उसे देख रहे हैं| पचास और साठ के दशक के अमेरिकी शहरों में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा गया था| द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बड़ी संख्या में लोगों को सेना से इसलिए निकाला गया की या तो वे समलैंगिक थे या ऐसा होने का उनपे संदेह किया गया|उस समय पुलिस और एफबीआई यह मान कर काम कर रहे थे की कम्युनिस्टों की तरह ही समलैंगिक भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं|
गे पुरुषों,लेस्बियन,बायसेक्सुअल और ट्रांसजेडरस् के लिए उस समय ऐसा कोई स्थान नहीं था जहाँ वे अपनी पहचान के साथ जा पाएं या अपने साथियों से मिलें-बैठें, अपनी भावनाओं उजागर करें| हर जगह उन्हें बुरे व्यवहार और उत्पीड़न से गुजरना पड़ता था| वैसे तो उन्न्नीसवीं सदी के अंत से ही हमें कुछ कुछ संगठन देखने को मिलते हैं लेकिन वे कभी इतने खुले रूप में सामने नहीं आये| पचास और साठ के दशक में बने मेटाचिन सोसाइटी और डॉटर्स ऑफ़ बिलिट्स जैसे संगठन भी स्टोन वाल से पहले तक इतने खुले रूप से काम करते हुए दिखाई नहीं दे रहे थे|
जब समलैंगिकता को अपराध बना दिया गया तो आपराधिक तत्वों और माफ़िया परिवारों ने इस बात लाभ उठाना शुरू किया| ऐसे कई बार थे जिन्हे माफ़िया परिवारों द्वारा संचालित किया जाता था, इन बारों को समलैंगिकों के लिए खोला गया| ये बार(जिन्हें गे बार कहा जाता था ) LGBT समुदाय और उन सभी व्यक्तियों के लिए शरण स्थली के रूप में सामने आये जो अपने जन्म लिंग से भिन्न अपनी सेक्सुअल पहचान को व्यक्त करना चाहते थे| हालाँकि ये बार कोई आदर्श स्थान नहीं थे, यहाँ शराब बहुत ज्यादा ऊंचीं कीमतों पर दी जाती,गंदे और टूटे हुए शौचालय,आसपास घूमते अपराधी, असंवेदनशील स्टॉफ जैसी कई परेशानियाँ थी उनसे उन्हें दो चार होना पड़ता था| बार मालिकों से एक मोटी रकम वसूलने के बाद भी पुलिस के औचक पड़ने वाले छापे आम बात थी| लेकिन २८ जून १९६९ को स्टोन वाल सराय में जो घटना घटी उसने न सिर्फ समलैंगिक संघर्षों की आग को हवा दी बल्कि LGBTQIA+ समुदाय के संघर्ष का वर्त्तमान रूप हम देख रहे हैं उसकी ऐतिहासिक नीव को भी मजबूत किया|
आखिर स्टोनवाल में हुआ क्या था?
स्टोनवाल इन् न्यूयॉर्क शहर के ग्रीनविच विलेज में स्थित एक बार है, जिसे पचास-साठ के दशक में चलने वाले सभी गे बारों की तरह ही आपराधिक परिवार के द्वारा संचालित किया जाता था| उस समय गे बारों पर पुलिस के छापे लगभग रोज़ की बात थी और आम बात थी, बहुत कम समय से भीतर ही ग्रीनविच के गे बारों पर पढ़ने वाला ये पुलिस का तीसरा छापा था| २८ जून १९६९ को सुबह सुबह पुलिस के नौ अधिकारियों ने सादी वर्दी में स्टोनवाल में छापा मारा और बिना लाइसेंस शराब बेचने के अपराध में वहाँ के कर्मचारियों को गिरफ्तार किया, शराब ज़ब्त कर ली गई, न्यू यॉर्क आपराधिक कानून के तहत लिंग के अनुरूप कपड़े ना पहनने वालों को हिरासत में लिया गया, उनके साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया गया। बार के कर्मचारियों को और ग्राहकों को जबरन पुलिस की गाड़ियों में भरा जाने लगा।बाकी लोगों को जाने दिया गया लेकिन बाकी दिनों की तरह वे वहाँ से गए नही और बाहर एक भीड़ सी इकट्ठा होनी शुरू हो गई। लोगों के अंदर गुस्सा था। हिरासत में लिए गए लोगों को वहां से ले जाने के लिए पुलिस की और गाड़ियां बुलाई गई जिन्हे किसी कारणवश आने में थोड़ा सा विलम्ब हुआ| शुरुआत में तक़रीबन दो सौ लोग रहे होंगे जिनकी संख्या बाद में तीन चार सौ तक पहुँच गई| और माहौल कुछ इस तरह का बना की न सिर्फ पुलिस का विरोध शुरू हुआ बल्कि यह हिंसक में बदल गया।
कुछ का कहना है कि इसकी शुरुआत तब हुई जब एक लेस्बियन महिला(इस बारे में कोई आश्वस्त नही है की वो महिला कौन थी,बहुत से दावे किए गए हैं लेकिन कोई निश्चित तौर पर इस बारें में नही कह सकता)जिसे जबरदस्ती पुलिस के वाहन में डाला जा रहा था और जो बराबर उनसे संघर्ष कर रही थी ने चिल्लाकर वहाँ खड़े लोगों से कहा की ‘तुम में से कोई कुछ करता क्यों नही है!’। जिसके बाद विरोध की आवाजों से माहौल गंभीर हो गया, साथ कि बोतले और ईंटें(इस बात में भी विरोधाभास है की क्या सचमुच में ईंटें हीं फेंकी गई थीं! कुछ का कहना है कि पत्थर थे या बोतलें थीं। लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है, हो सकता है की सैंडल्स और बैग फेंकें गए हों) फेंकी जाने लगीं। पुलिस अधिकारियों ने अपने आप को बार के भीतर बंद कर लिया और रेडियो उपकरण के ज़रिये और पुलिस बल को भेजने की माँग की। उस समय तो भीड़ को तितर बितर कर दिया गया लेकिन स्टोनवाल इन के बाहर संघर्ष कभी कमजोर तो कभी मजबूत नज़र आता हुआ अगले पाँच दिन तक जारी रहा।
यह एक ऐसी घटना थी जिसने lgbt समुदाय को एक साथ मिलकर लड़ने की प्रेरणा दी।जिसके बाद lgbt समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए अमेरिका और पूरे विश्व में कई तरह के संगठन बने, जिन्होंने संघर्ष को तेज किया और आगे बढ़ाया। इसके एक साल बाद 28 जून 1970 को स्टोनेवाल की सालगिरह के उपलक्ष में न्यू यॉर्क,शिकागो,लॉस एंजेलिस, सान फ्रांसिस्को में पहली गे प्राइड मार्च की शुरुआत हुई। वर्तमान में स्टोनेवाल घटना के सम्मान में,जून में lgbt प्राइड मार्च और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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