ग्रामीण क्षेत्र क्वीर
By Deepak
भारतीय समाज की महानता को अगर जानना है तो जाकर क्वीर कम्युनिटी से पूछिए की ये महान सामाज उनके साथ क्या करती आयी है. अगर भारत की महानता को समझना है तो भारत के उस पवित्र संविधान में जाकर देखिये जो कहता hai की अगर एक किन्नर के साथ बलातकार हो जाये तो वो बस एक छोटा सा अपराध है. इस भारत देश की महानता तो तब झलकती है जब किसी घर ने एक बच्चा जन्म ले तो किन्नर का आशीर्वाद शुभ माना जाता है और अगर वही किन्नर किसी के घर में जन्म ले तो उसे कही फेक आते है या उनकी हत्या कर दी जाती है. भारत के लोग कहते है हमें अपने न्यायालय पे पूरा भरोसा करना चाहिए. लेकिन क्वीर कम्युनिटी उस न्यायालय पे कैसे भरोसा करे जो ये कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते है कि हम आपके दलील सुनने के इच्छुक नहीं है. उस न्यायालय को मंदिर कैसे माने जो इस कम्युनिटी के दर्द को सुनना नहीं चाहती.
भारत के महानगरों में तो लोग अपने राइट्स को समझते है और लड़ना भी जानते है . लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे एक लड़के के बारे में सोचिये कि उसकी क्या दशा होती होगी.ग्रामीण क्षेत्र के लोग तो ये जानते भी नहीं की गे जैसा भी कुछ होता है.ये सब उनलोगों के सोच के परे है.अगर कोई लड़का अपनी पहचान लोगों के सामने रख भी दे और कहे कि मै एक लड़का हु और लड़के ही मुझे पसंद है तो लोग उसे पागल कहेंगे या फिर उसे किसी साधु महात्मा को दिखाएंगे.ऐसा नहीं है की ग्रामीण क्षेत्र के लोग पागल है या ऐसा भी नहीं है कि वे क्रूर हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों में इस चीज को लेकर जागरूकता नहीं है. जब सुप्रीम कोर्ट ने धरा ३७७ को निष्प्रभावी किया तो फैसला में उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए की देश में जागरूकता फैलाये और लोगों को समझाए की गे भी हम जैसे नार्मल है और ये कोई बीमारी नहीं है. सरकार के तरफ से ऐसा कुछ नहीं किया गया. जब हमारी सरकार ही नहीं समझ पायी तो ये ग्रामीण लोग कैसे समझेंगे. ग्रामीण क्षेत्र में एक गे की जबरन लड़की से शादी करा दी जाती है. ये शादी महज शादी नहीं उस लड़के की जिंदगी के काले अध्याय की शुरुआत होती है.उस लकड़ी का क्या कुसूर है जो कई सपने संजो कर ससुराल आती है की उसे पति का प्यार मिलेगा पर ऐसा कुछ होता नहीं है. अगर सरकार चाहे तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी गे होना आम बात ही सकता है. यहाँ अगर कोई गे अपनी पहचान अपने माता पिता को बता दे तो वे आत्महत्या कर लेते है क्योंकि अगर वो जीवित रहेंगे तो ये समाज उन्हें जीने नहीं देगी.
लोग कहते है न्यायालय हमारी बात सुन नहीं रही और सरकार सुनेगी नहीं तो क्या किया जाये? इसका एक ही विकल्प है -क्वीर कम्युनिटी को एक साथ मिलकर लड़ना होगा . ये बात सत्य है की एक raat में सब कुछ नहीं बदल सकता पर धीरे धीरे जरूर बदल सकता है. जो सामने आने से डरते है वो परदे के पीछे रहकर भी अपने कम्युनिटी के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. अगर ये कम्युनिटी एक नहीं हुई तो युगों युगों तक शोषण होता रहेगा. इसलिए हम एक होकर लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी.