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Facts Are Sometimes Stranger Than Fiction

By Soumya Ranjan Purohit

Picture credit: Unknown

इस वक़्त जिसे मैं देखना चाहता हूँ।

वो कहीं दूर किसी और सहर में फसा हुआ है।।

मैं यहाँ उससे मिलने के ख्वाब देख रहा हूँ।

और वो भी तन्हाई में तड़प रहा है।।

मुझे इस बात का इल्म नही के मैं उससे दूर हूँ।

उसकी हिफाज़त ही मेरे लिए काफी है।।

जिसे मैं तन्हाई समझ रहा हूँ।

शायद वो एक बेहतर रिश्ते की शुरुआत है।।

I am feeling my closeted self alive again.

बिलकुल वैसा महसूस हो रहा है जैसे मुझे अपने पहले प्यार में होता था। वही दर्द, वही तड़प, वही चाहत। ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी ज़िन्दगी में बहुत पीछे चला गया हूँ। बस मन कर रहा है जी भर के रोऊँ। रोज़ एक अजीब सी चुभन बैठ सी गई है दिल में। मेरा बस चले तो अभी कहीं दूर भाग जाऊं, लेकिन क्या करूँ, हालात ही ऐसे हैं कि मैं कुछ कर नही सकता।

जो रिश्ते इस बीते वक़्त के दरमियाँ बनाये हैं, ऐसा लग रहा है वो एक सपना था। एक सुहाना सा सपना जो शायद कभी पूरा नहीं होने वाला। घुटन सी होने लगी है इस चार दिवारी में। ऐसा लगता है ये दीवारें भी मेरे ऊपर ज़ोरों से चीख़ रही हैं और मैं बेसहारा होके ज़मीन पे पड़ा हुआ बस सिसक रहा हूँ।

ज़िन्दगी एक अजीब से मोड़ पर आ चुकी है। खयालात ऐसे हो गए हैं जैसे पहले कभी न थे।सब कुछ एक सपना सा लगता है, जो किसी भी पल टूट सकता है। और अगर मान लो क सब कुछ हक़ीक़त है, तो गुज़रे हुए लम्हों के लिए जो कीमत चुकानी पड़ी है, उसे याद करके दिल सहम सा जाता है।

लोग कहते हैं, अभी उमर ही क्या है तुम्हारी जो इतने परेशान रहते हो। ये तो बस चंद लोगों को ही पता है के हमने क्या कीच नही देखा और सहा, जो अगर किसी और की ज़िन्दगी में उतरी जाएँ तो शायद वो इस मुक़ाम पर न पहुँच सके। मेरे जैसे और भी लोग हैं जिन्होंने बहुत सारी मुश्किलों का सामना करके मुझसे ऊँचे ओहदे पर पहुँच चुके हैं। पर हर किसी की ज़िन्दगी के हालात और तक़्लीफें एक जैसे होते भी तो नही हैं।

दूआ बस इतनी है कि अगर ये एक सपना है, तो जल्दी मैं इस सपने से बहार आऊं और इस सपने को हक़ीक़त में तब्दील करने की ताक़त मुझमे हो। और अगर ये हक़ीक़त है, तो पुराने ग़मो को भुलाके, इसे एक सुहाने सपने का रूप दे सकूँ।

सौम्य रंजन पुरोहित